INSOMNIA अनिद्रा
विवरण
नींद न आने के कई कारण हो सकते हैं। नींद ठीक से न आने के कारण पूरा आराम नहीं मिल पाता।
नींद न आने के कारणों में मानसिक संताप, किसी कारण से तनावग्रस्त होना जैसे प्रेम में
'व्यवसाय में नुकसान हो जाना बहुत ज्यादा सोचना। शरीर में दर्द होना, किसी दवा का दुष्प्रभाव
ज्यादा भोजन कर लेने से या आसपास का वातावरण अनुकूल न होने पर
लक्षण
जो लोग अनिद्रा रोग के शिकार होते हैं, उनको या तो बिल्कुल नींद नहीं आती या सोते समय बार-हर
आंख खुल जाती है। जाग-जाग पड़ते हैं। सबेरे जागने पर थकान महसूस करते हैं। ऐसे लोग सफर
बहुत कम या बिल्कुल नहीं देखते। जब नींद ही नहीं आएगी तो सपने कहां से आएंगे? ठीक से
न जाने के कारण स्वभाव में चिड़चिड़ापन आता है, मानसिक तनाव बढ़ता है, किसी काम में मन नहीं
लगता और बहुचा अपना कोई काम ठीक से नहीं कर पाते। ज्यादातर अपने काम में गलतियां करने
रहने की प्रवृत्ति सी बन जाती है। जब बहुत दिनों तक अनिद्रा का शिकार बने रहते हैं, तो चिड़चिड़े
और तनावग्रस्त हो जाते हैं।
व्यवधान
एकाप रात न सो सकने से किसी तरह का व्यवधान नहीं होता। लेकिन पुराना पड़ जाने पर अनिदा
रोग व्यक्ति के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है। नींद से महरूम होना मानसिक असंतुलन तो लाता
ही है, साथ ही व्यक्ति की भीतरी रोग प्रतिरोधक शक्तियों को भी क्षीण कर देता है।
देखना
क्या व्यक्ति थकामांदा दिखाई पड़ता है?
क्या उसकी आँखों के घेरों में कालिमा या नीलापन दिखाई पड़ता है?
सुनना
"मैं इतनी बुरी तरह से भयभीत हो गया था कि मुझे अब नींद ही नहीं आती।" एकोनाइट।
"मैं इतना चिंतित रहता हूं कि मुझे नींद ही नहीं आती, अगर यही हाल रहा तो मर जाऊंगा।"
आर्सेनिक ।
"मैं हर समय चौकना सा रहता हूं और दिमाग को शांत कर ही नहीं सकता।” काफिया।
"दर्द के कारण मैं सो ही नहीं सकता।" काफिया कैमोमिला।
"एक तो मैं बहुत थका हुआ हूँ, दूसरी बात है कि कल मुझे जनता के सामने कार्यक्रम प्रस्तुत करना
है, जिसके लिए मैं आशंकित हूं, इसलिए नींद ही नहीं आती।" जेलसीमियम ।
“जब से मेरे पिताजी की मृत्यु हुई है, नींद ही नहीं आती। आह!" इग्नेशिया ।
“रात को तीन बजे तक अपने व्यवसाय की चिंता में डूबे रहने के कारण मेरी आंख ही नहीं लगती ।"
काफिया।प्रश्न कीजिए
1. किसी-किसी दिन नींद नहीं आती अथवा नींद न आने की शिकायत बहुत दिनों से है?
2. नींद लाने में आपको किसी प्रकार की तकलीफ होती है या नींद रोकने की कोशिश करते हो?
3. रात को किसी निश्चित समय पर आप जाग जाते हैं?
4. किसी प्रकार का मानसिक तनाव अथवा भावुकता तो परेशान नहीं करती?
5. नींद से पहले आप कमरे की खिड़कियां खुली रखना चाहते हैं या बंद कर सोना चाहते हैं?
6. रात के समय आपको किसी प्रकार की चिंता या भय सताता है?
7. रात को किसी विशेष चीज़ के खाने या पीने की इच्छा बलवती होती है?
6. बिस्तर पर जाने पर आपको भूख या प्यास लगती है?
9. किस करवट आप सोना पसंद करते हैं?
होमियोपैथी की दवा के चुनाव के सांकेतिक लक्षण ।
अगर व्यक्ति को किसी भयावह दुर्घटना या भय के कारण नींद नहीं आती, तो एकोनाइट दीजिए।
अगर किसी भारी आर्थिक क्षति के बाद नींद नहीं आती, तो आर्सेनिक दीजिए। अगर व्यक्ति
सबेरे तीन बजे तक जागता रहता है और किसी चिंता में डूबा रहता है, तो काफिया पर विचार कीजिए।
■ जिनको किसी जनसभा के सामने कार्यक्रम देने से असफल हो जाने की आशंका से नींद न आती
हो, उनके लिए जेलसीमियम पर विचार कीजिए। अगर किसी प्रिय अथवा घनिष्ट की मृत्यु हो जाने
के बाद, रोता, सिसकियां और आहें भरता हो और नींद न आ रही हो, तो इग्नेशिया सर्वश्रेष्ठ दवाई
है। जो लोग रात को तीन बजे जागकर उठ बैठते हैं और अपनी व्यावसायिक चिंताओं में डूब जाते
हैं, उनके लिए नक्स वोमिका उत्तम दवाई है।
मात्राएं
• जब तक किसी प्रकार का सुधार न दिखाई पड़े, 30 पोटेंसी की चार-चार गोलियां हर दो घंटे बाद
देते रहिए। कुछ सुधार होता दिखाई पड़े, तो दवा देने के समय का अंतर बढ़ा दीजिए।
• अगर तीन-चार मात्राएं देने पर किसी प्रकार का सुधार या फायदा न दिखाई पड़े, तो दवा बदल दीजिए।
• निम्न पोटेंसी जैसे 6 एक्स, 6 सी, 30 एक्स को बार-बार हर दो घंटे या चार घंटे पर दिया जा सकता है।
उच्च पोटेंसी जैसे 200 एक्स, 200 सी, 1 एम अथवा इससे उच्च पोटेंसी की मात्राएं 24 घंटे में एक
बार ही देनी चाहिए। अगर एक मात्रा देने के बाद कुछ फायदा नज़र आए, लेकिन कुछ देर बाद
फिर से कष्ट बढ़ने लगे, तो 24 घंटे के बीच में फिर से दवा का प्रयोग किया जा सकता है।
● किसी भी पोटेंसी का प्रयोग क्यों न किया गया हो, अगर दवा कुछ देर तो फायदा पहुंचाती है और
कुछ देर बाद रोग फिर बढ़ने लगता है, तो दोबारा उसी पोटेंसी की दवा दी जा सकती है। लेकिन
बार-बार दोहराने के बाद भी यदि दवा रोग में कुछ देर ही लाभ पहुंचाती है, तो किसी दूसरी दवा
देने पर विचार करना चाहिए। अगर दवा बदलने के बाद भी सत्वर लाभ न पहुंच रहा हो, तो किसी
अनुभवी चिकित्सक की सलाह लीजिए या फिर रोगी को अस्पताल में भर्ती करा दीजिए।
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